वो खेलते रहे हमारे दिल से,
हमने एक खेल खेला तो बुरा
लग गया|
झेले थे हमने गम उनके खातिर,
उन्होने एक झेला तो बुरा
लग गया||0||
यूँ तो तन्हाइयों में काटी थी,
तमाम उम्र हमने उनके प्यार में,
जो दो पल महका हमारे दर पर,
खुशियों का मेला तो बुरा
लग गया||1||
हमने तो दिए थे वफ़ा के सहारे,
मगर उसने मारी ठोकर बेवफ़ाई
की,
काँटों भारी अंधेरी राहों
पर जब,
चलना पड़ा अकेला तो बुरा
लग गया||2||
उनकी हर उम्मीद को सजाया
सर-ओ-ताज पर गुलाम की तरह,
जज़्बात-ए-दिल का सुनाया
‘गगन’ ने,
एक ढेला तो बुरा लग गया||3||
वो खेलते रहे हमारे दिल से,
हमने एक खेल खेला तो बुरा
लग गया|
झेले थे हमने गम उनके खातिर,
उन्होने एक झेला तो बुरा
लग गया||4||
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