उम्मीद का दामन आज भी
थामे बैठे है,
तुझसे किए एक वादे को
निभाने बैठे है|
ना जा उठकर यूँ भरी महफ़िल
से तू,
हम तो अपना हाल-ए-दिल
सुनाने बैठे है|
यूँ ना शरमाया कर हँसती
हुई निगहों से,
तेरी गुलकनी हँसी को लोग
चुराने बैठे है|
कोई और ना जीत ले तुझे
'गगन' से पहले,
तेरे हुस्न पर साँसों
का दाँव लगाने बैठे है|
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