Tuesday, March 14, 2017

आख़िरी सलाम

💔
जलते हुए ख्याबों के कुछ पैगाम बाकी है,
पीनेदे साकी मुझे, अभी कुछ जाम बाकी है|

ना रोक आफरीन शराब को मेरे लव छूने से,
उतरने दे हलक में, अभी कुछ जान बाकी है|

वो बे-अदबी सीखा गये मेरे नादान दिल को,
नफ़रत भरे दिल में, उनका सामान बाकी है|

उसे माफ़ करना तो मेरी फ़ितरत में था,
आज भी इस दिल में, थोड़ा इंसान बाकी है|

मज़ार-ए-आशिकों पे सजदा करता हूँ रोज़ाना,
उनकी फेहरिस्त में लिखना मेरा नाम बाकी है|

ना निकल जाए जान उनके आने के पहले,
"गगन" का उसे आख़िरी सलाम बाकी है|
💔

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