💔
जलते हुए ख्याबों के कुछ
पैगाम बाकी है,
पीनेदे साकी मुझे, अभी कुछ
जाम बाकी है|
ना रोक आफरीन शराब को मेरे
लव छूने से,
उतरने दे हलक में, अभी कुछ
जान बाकी है|
वो बे-अदबी सीखा गये मेरे
नादान दिल को,
नफ़रत भरे दिल में, उनका
सामान बाकी है|
उसे माफ़ करना तो मेरी फ़ितरत
में था,
आज भी इस दिल में, थोड़ा
इंसान बाकी है|
मज़ार-ए-आशिकों पे सजदा करता
हूँ रोज़ाना,
उनकी फेहरिस्त में लिखना
मेरा नाम बाकी है|
ना निकल जाए जान उनके आने
के पहले,
"गगन" का उसे आख़िरी
सलाम बाकी है|
💔
Behtreen
ReplyDeleteAwesome
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