Tuesday, December 27, 2016

इश्क़ का रंग

कोई तो रंग चढ़ा दे मुझ पर ए खुदा,
इस रंगीन दुनिया में, बेरंग जीना मुश्किल है!!

कुछ लफ्ज़ है उधड़े हुए अल्फाज़ों के साथ,
सुरों के धागों से इन्हे सीना मुश्किल है!!

आरामी से गुज़रता है सर्द-जाड़ों का मौसम,
हाय! ये बेदर्द सावन का महीना मुश्किल है!!

तन्हाईयाँ ले जाती है मुझे मैखाने की ओर,
बेरंग दर्द-ए-दिल के शराब पीना मुश्किल है!!

चढ़ा दे इश्क़ का कुदरती रंग 'गगन' पर,
बिना रहगुज़ार साथी के जीना मुश्किल है!!

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