ना सजी हो तुझ पर, ऐसी अदा
ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई
दवा ना होगी||
औरों को क्या रोके, खुद गुनहगार
है,
एक टक तेरे दीदार की, धुन
सवार है,
मेरे गुनाहों की कोई और दफ़ा
ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई
दवा ना होगी||
यूँ ही नशे में धुत है, ज़माना
शराब के,
कुछ सीरत, कुछ शोहरत, कुछ
रुबाब के,
तेरे नशे की आदत उनको पता
ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई
दवा ना होगी||
होठों पे सजी है खुशी, आँखों
में मलाल है,
रंग तेरा जैसे चाँदनी, गालों
पर गुलाल है,
खुशबू ना मिले तेरी, ऐसी
हवा ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई
दवा ना होगी||
तू ही रवी है हर जगह, अर्श
हो या फर्श,
आयत है ज़मीं की, निहायत
ही दीपदर्श,
तेरा हुस्न करें बयाँ, बेशक़
ज़ुबाँ ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई
दवा ना होगी||
ना सजी हो तुझ पर, ऐसी अदा ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई दवा ना होगी||
ReplyDelete"ना सजी हो तुझ पर, ऐसी अदा ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई दवा ना होगी||"
बहुत ही उम्दा!!
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