Friday, March 10, 2017

तेरी अदा

ना सजी हो तुझ पर, ऐसी अदा ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई दवा ना होगी||


औरों को क्या रोके, खुद गुनहगार है,
एक टक तेरे दीदार की, धुन सवार है,
मेरे गुनाहों की कोई और दफ़ा ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई दवा ना होगी||


यूँ ही नशे में धुत है, ज़माना शराब के,
कुछ सीरत, कुछ शोहरत, कुछ रुबाब के,
तेरे नशे की आदत उनको पता ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई दवा ना होगी||


होठों पे सजी है खुशी, आँखों में मलाल है,
रंग तेरा जैसे चाँदनी, गालों पर गुलाल है,
खुशबू ना मिले तेरी, ऐसी हवा ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई दवा ना होगी||


तू ही रवी है हर जगह, अर्श हो या फर्श,
आयत है ज़मीं की, निहायत ही दीपदर्श,
तेरा हुस्न करें बयाँ, बेशक़ ज़ुबाँ ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई दवा ना होगी||


ना सजी हो तुझ पर, ऐसी अदा ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई दवा ना होगी||

1 comment :


  1. "ना सजी हो तुझ पर, ऐसी अदा ना होगी|
    तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई दवा ना होगी||"
    बहुत ही उम्दा!!
    कभी हमारे ब्लॉग पर भी आईये
    http://yugeshkumar05.blogspot.in/?m=1
    आपका स्वागत है ☺️

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