Wednesday, March 15, 2017

रंग-ए-इश्क़

बड़े दिनों बाद भीगी है फिर से निगाहे मेरी,
हर आँसू के कतरे में तेरा ही चेहरा ढूँढती है|
यूँ तो उमड़ पड़े है कई नये रंग ज़िंदगी में,
पर आज भी रंग-ए-इश्क़ सुनहरा ढूँढती है||
                                                -गगन 'रज़'

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