Friday, February 24, 2017

तेरी बेवफ़ाई

😢
तूने बे-आबरू होकर हर चीज़ मुझे दी|
लेकिन उसमें पाक इश्क़ की कमी थी||

तेरे ख्याबों ने तो छू लिया आसमाँ को|
मगर पैरों तले तो मेरी हथेली जमी थी||

यूँ रो पड़े मैखाने मेरे दर्द को सुनकर|
झलकते पैमानों की आँखो में नमी थी||

जब बज रही थी शहनाई तेरी गलियों में,
मेरी रहगुजर में ज़नाज़े की गमी थी||

क्या दुहाई दे तेरी बेवफ़ाई की गगन|
गैरों ने सजाया घर जहाँ मेरी ज़मीं थी||
 😢

No comments :

Post a Comment