जीतने करीब उतना दूर है तू,
ये सच है मेरा कोहिनूर है
तू|
क्या करूँ तारीफ बेजान लफ़्ज़ों
में,
हर गली कुचे में मशहूर है
तू|
ज़माने के नज़रों में नायाब
है,
खुदा के हाथों का दस्तूर
है तू|
बड़ी उजाड़ थी ज़िंदगी तेरे
बिना,
मेरी इस खुशी का सुरूर है
तू|
छोड़ ज़माना बाहों में आजा
अब,
किन हालातों से मजबूर है
तू|
ना छिपा "गगन"
से हाल-ए-दिल,
जानता हूँ थोड़ा-सा मघरूर
है तू|
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