कैसे भूलु
प्यार भारी सौगातें भी तेरी थी||
वो
बाग भी तेरा था, वो राग भी तेरा था|
पल में
जल उठा वो चिराग भी तेरा था||
आयत भी
तेरी थी, इनायत भी तेरी थी|
तारीफों
के पीछे कुछ शिकायत भी तेरी थी||
वो सूरत
भी तेरी थी, वो सिरत भी तेरी थी|
ख्याबों
के पुलिन्दो में हक़ीकत भी तेरी थी||
ख्वाहिश
भी तेरी थी, नुमाईश भी तेरी थी|
महफ़िल-ए-गगन
में मोबाहिसह भी तेरी थी||
- गगन
'रज'
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