ताज़्ज़ूब नहीं मुझे कि लोग मेरे हुनर की तारीफ करते है, मेरे तो हर अल्फ़ाज़ के पीछे तेरा ही ख्याल होता है|
Wednesday, March 29, 2017
दाँव
उम्मीद का दामन आज भी
थामे बैठे है,
तुझसे किए एक वादे को
निभाने बैठे है|
ना जा उठकर यूँ भरी महफ़िल
से तू,
हम तो अपना हाल-ए-दिल
सुनाने बैठे है|
यूँ ना शरमाया कर हँसती
हुई निगहों से,
तेरी गुलकनी हँसी को लोग
चुराने बैठे है|
कोई और ना जीत ले तुझे
'गगन' से पहले,
तेरे हुस्न पर साँसों
का दाँव लगाने बैठे है|
Monday, March 20, 2017
तो बुरा लग गया|
वो खेलते रहे हमारे दिल से,
हमने एक खेल खेला तो बुरा
लग गया|
झेले थे हमने गम उनके खातिर,
उन्होने एक झेला तो बुरा
लग गया||0||
यूँ तो तन्हाइयों में काटी थी,
तमाम उम्र हमने उनके प्यार में,
जो दो पल महका हमारे दर पर,
खुशियों का मेला तो बुरा
लग गया||1||
हमने तो दिए थे वफ़ा के सहारे,
मगर उसने मारी ठोकर बेवफ़ाई
की,
काँटों भारी अंधेरी राहों
पर जब,
चलना पड़ा अकेला तो बुरा
लग गया||2||
उनकी हर उम्मीद को सजाया
सर-ओ-ताज पर गुलाम की तरह,
जज़्बात-ए-दिल का सुनाया
‘गगन’ ने,
एक ढेला तो बुरा लग गया||3||
वो खेलते रहे हमारे दिल से,
हमने एक खेल खेला तो बुरा
लग गया|
झेले थे हमने गम उनके खातिर,
उन्होने एक झेला तो बुरा
लग गया||4||
Wednesday, March 15, 2017
Tuesday, March 14, 2017
कोहिनूर
जीतने करीब उतना दूर है तू,
ये सच है मेरा कोहिनूर है
तू|
क्या करूँ तारीफ बेजान लफ़्ज़ों
में,
हर गली कुचे में मशहूर है
तू|
ज़माने के नज़रों में नायाब
है,
खुदा के हाथों का दस्तूर
है तू|
बड़ी उजाड़ थी ज़िंदगी तेरे
बिना,
मेरी इस खुशी का सुरूर है
तू|
छोड़ ज़माना बाहों में आजा
अब,
किन हालातों से मजबूर है
तू|
ना छिपा "गगन"
से हाल-ए-दिल,
जानता हूँ थोड़ा-सा मघरूर
है तू|
आख़िरी सलाम
💔
जलते हुए ख्याबों के कुछ
पैगाम बाकी है,
पीनेदे साकी मुझे, अभी कुछ
जाम बाकी है|
ना रोक आफरीन शराब को मेरे
लव छूने से,
उतरने दे हलक में, अभी कुछ
जान बाकी है|
वो बे-अदबी सीखा गये मेरे
नादान दिल को,
नफ़रत भरे दिल में, उनका
सामान बाकी है|
उसे माफ़ करना तो मेरी फ़ितरत
में था,
आज भी इस दिल में, थोड़ा
इंसान बाकी है|
मज़ार-ए-आशिकों पे सजदा करता
हूँ रोज़ाना,
उनकी फेहरिस्त में लिखना
मेरा नाम बाकी है|
ना निकल जाए जान उनके आने
के पहले,
"गगन" का उसे आख़िरी
सलाम बाकी है|
💔
Friday, March 10, 2017
तेरी अदा
ना सजी हो तुझ पर, ऐसी अदा
ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई
दवा ना होगी||
औरों को क्या रोके, खुद गुनहगार
है,
एक टक तेरे दीदार की, धुन
सवार है,
मेरे गुनाहों की कोई और दफ़ा
ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई
दवा ना होगी||
यूँ ही नशे में धुत है, ज़माना
शराब के,
कुछ सीरत, कुछ शोहरत, कुछ
रुबाब के,
तेरे नशे की आदत उनको पता
ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई
दवा ना होगी||
होठों पे सजी है खुशी, आँखों
में मलाल है,
रंग तेरा जैसे चाँदनी, गालों
पर गुलाल है,
खुशबू ना मिले तेरी, ऐसी
हवा ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई
दवा ना होगी||
तू ही रवी है हर जगह, अर्श
हो या फर्श,
आयत है ज़मीं की, निहायत
ही दीपदर्श,
तेरा हुस्न करें बयाँ, बेशक़
ज़ुबाँ ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई
दवा ना होगी||
ना सजी हो तुझ पर, ऐसी अदा ना होगी|
तेरे इश्क़ से बढ़कर, कोई दवा ना होगी||
Thursday, March 2, 2017
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