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तेरी नज़दीकियों का असर
है|
जो मेरा साया भी गमों
से बेख़बर है||
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कुदरत का हुनर तूने पाया
है|
तेरी बाहों में जहां का
सुख समाया है||
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तेरी चाहतों से मेरा दिन
खिलता है|
तू कभी बाहों तो कभी पनाहों
में मिलता है||
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समा ले गगन को तू ज़मीं
बनकर|
बस यही आरज़ू रहेगी अब
ज़िंदगी भरतक||
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nice
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