Thursday, February 8, 2018

तेरी चुप्पी


मोहब्बातों की चाशनी में डूबे कुछ ख्याब है|
दिल के दरवाज़े पर कुछ दस्तक-ए-जवाब है||
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चाहतों के सवालों को होठों में ना दबाए रखना,
बंद रहे तो राज, खुल गये तो आफताब है||
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नाज़ुक ऊँगलियों में ऊँगलिया उलझाए हुए,
कह दो वो अल्फ़ाज़, जो बहुत नायाब है||
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कैसे करूँ मजबूर तुझे हाल-ए-दिल बताने को,
मुझे तो तेरी चुप्पी भी लगती लाज़बाब है||
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- गगन 'रज'

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