मोहब्बातों
की चाशनी में डूबे कुछ ख्याब है|
दिल
के दरवाज़े पर कुछ दस्तक-ए-जवाब है||
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चाहतों
के सवालों को होठों में ना दबाए रखना,
बंद
रहे तो राज, खुल गये तो आफताब है||
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नाज़ुक
ऊँगलियों में ऊँगलिया उलझाए हुए,
कह
दो वो अल्फ़ाज़, जो बहुत नायाब है||
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कैसे
करूँ मजबूर तुझे हाल-ए-दिल बताने को,
मुझे
तो तेरी चुप्पी भी लगती लाज़बाब है||
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गगन 'रज'
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