Tuesday, February 13, 2018

हसरत-ए-खुदाई

बेबसी का आलम था, महफ़िल में तन्हाई थी|
ग़ज़लें मेरी बिखरी थी, रो  रही  रुबाई  थी||

तेरे लबों की मिठास ने एक जादू-सा किया|
रत्ती-रत्ती, जर्रा-जर्रा सारी खुशियाँ छाई थी||

लबों पर रखी दुआए पल में पिघल गयी थी|
जब तेरी गर्म साँसे मेरी साँसों में समाई थी||

फिर रहा ना गगन तू रग-रग में घुल गयी|

मानो पूरी हुई जो अधूरी हसरत-ए-खुदाई थी||

Monday, February 12, 2018

तेरी नज़दीकियों का असर है

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तेरी नज़दीकियों का असर है|
जो मेरा साया भी गमों से बेख़बर है||
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कुदरत का हुनर तूने पाया है|
तेरी बाहों में जहां का सुख समाया है||
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तेरी चाहतों से मेरा दिन खिलता है|
तू कभी बाहों तो कभी पनाहों में मिलता है||
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समा ले गगन को तू ज़मीं बनकर|
बस यही आरज़ू रहेगी अब ज़िंदगी भरतक||
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Thursday, February 8, 2018

तेरी चुप्पी


मोहब्बातों की चाशनी में डूबे कुछ ख्याब है|
दिल के दरवाज़े पर कुछ दस्तक-ए-जवाब है||
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चाहतों के सवालों को होठों में ना दबाए रखना,
बंद रहे तो राज, खुल गये तो आफताब है||
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नाज़ुक ऊँगलियों में ऊँगलिया उलझाए हुए,
कह दो वो अल्फ़ाज़, जो बहुत नायाब है||
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कैसे करूँ मजबूर तुझे हाल-ए-दिल बताने को,
मुझे तो तेरी चुप्पी भी लगती लाज़बाब है||
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- गगन 'रज'

Tuesday, February 6, 2018

गुलाबी परछाई



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सर्द सूरज की किरणें बिखर आई है,
तेरे हुस्न की खुशबू ये हवाएँ लाई है|
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गुलाब भी जलें है तेरी आभा देखकर,
जाने कौनसी प्रभा बगियों  में लाई है||
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सरकायी जब जुल्फे बालियों के पीछे,
ये अदा देख, सारी कलियाँ शरमाई है||
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कौनसा गुलाब दू आज की दिन तुझे,
हर रंग के गुलाब में बस तू समाई है||
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कैसे कर पाऊँगा तेरे अक्स को क़ैद,
तू तो गगन की ही गुलाबी परछाई है||

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- गगन 'रज'