Tuesday, November 28, 2017

हमारी गुस्ताखियों के किस्से|


तबज्जू दे मेरी सदाओ को, हमारी गुस्ताखियों के किस्से इनमें है|
कुछ अदा, कुछ सदा, कुछ हया, कुछ बे-हयाई के हिस्से इनमें है|

हुए थे हमारे ज़ज़्बात जवां, जिश्म में जलजले से उफनते थे|
दिलकश नूर, कातिलाना जुनूं, गिरते पसीने से गुल सुलगते थे|

निगाहों के घेरो में बँधा, हमारी जवानी का गहरा समंदर था|
पहले बाहें, फिर कुछ आहें, फिर कराहों का दर्दीला मंज़र था||

खो दिया था दुनियाँ को, उन चार पलों के अहसासों में|
थोड़ा दर्द, उस पर मर्ज, फिर छाई थकावट इन सांसो में||

वक़्त फिसलता जाएगा, वो खता-ए-इश्क़ उभर के आएँगी|
तुझे पता, मुझे पता, गगन से ज़मीं फिर ना मिल पाएँगी||

                                                                               - गगन 'रज़'

Monday, November 6, 2017

क्या खोना क्या पाना है?

मेरा जहन भरा सवालो से,
जाने कैसे उत्तर पाऊँ?
देखूं जब इस जहां की हालत,
मनुष्य मूरख पर हर्षाऊं|

कुछ को देखा ज़मीन बिछाते,
गगन सुहानी चादर ताने|
कही दिखा चमकीला बिस्तर,
होता मखमल कुछ सिरहाने|
पर असलियत की तह मे सोचो,
किसने नींद के मायने जाने?

कही दिखा खाने का ढ़ेर,
फैके सुबह-शाम-अंधेर|
कही भली दो सुखी रोटी,
मिल जाए जो देर-सवेर|
पर असलियत की तह मे सोचो,
रोग रहे है किसको घेर?

कोई बनाए ऊँचे मकान,
हर कमरे में एक इंसान|
कई लोग रहते एक में,
जहाँ व्यापे प्रेम और मान|
पर असलियत की तह मे सोचो,
किस घर बसे भगवान?

जिश्म दिखे नग्न-दरारों में,
संदुकें वस्त्र हज़ारों में|
कही चिथडन में सुकून दिखा,
पड़ा हुआ गलियारों में|
नसीब में लेकिन वही कफ़न है,
मिला जो हट-बाज़ारों में|

आए हमसब इस दुनिया में, खाली हाथ ही जाना है|
ना हो गर्व इस माया का, दिल के भेद मिटाना है|
करूँ सवाल अंतिम पंक्ति में,
क्या खोना क्या पाना है?
                                                                    -गगन 'रज'

Friday, November 3, 2017

आज ऐसा करवा चौथ मनाऊँ ||


अभिनव मन की आरत में, जगमग प्यार की ज्योत जलाऊँ |
पुष्प समर्पित करती तुमको, रोशन-रजनी के स्त्रोत सजाऊँ||
आज ऐसा करवा चौथ मनाऊँ ||
 💕
विश्वास कलश का हाथ लिए, तन-तपस्या का जल चढ़ाऊँ |
विपदा कभी ना आये तुमपर, लम्बी आयु की आरत गाऊँ ||
आज ऐसा करवा चौथ मनाऊँ ||
 💕
छलनी के पीछे से साजन, दो क्षण का दर्शन मैं पाऊँ |
जैसी प्रीत मयंक संग रजनी, ऐसी अपनी प्रीत मैं चाहूं ||
आज ऐसा करवा चौथ मनाऊँ ||
 💕
प्रेम - प्याले भरे पानी से, कर-कमलों से पीना चाहूं |
जीवन अर्पण हो चरणों में, बदले में कोई सुख ना चाहूं ||
आज ऐसा करवा चौथ मनाऊँ ||
💕