आज
पता चला कितना गम है ज़माने में,
अश्कों से आँखे जल गई, उनसे दिल लगाने में|
अश्कों से आँखे जल गई, उनसे दिल लगाने में|
दिल
कहता है और ना रख, इश्क-ए-शमा को रोशन,
पर हथेली जलेगी मेरी ही, इस शमा को बुझाने में||
पर हथेली जलेगी मेरी ही, इस शमा को बुझाने में||
तपती
धूप की बैसाखी को पकड़कर रो लूँगा में,
जाने कितना वक़्त लगेगा, इन आँखों को सुखाने में||
जाने कितना वक़्त लगेगा, इन आँखों को सुखाने में||
अश्कों से आँखे जल गई, उनसे दिल लगाने में||
-- गगन
"रज"
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