Monday, July 3, 2017

अश्कों से आँखे जल गई

आज पता चला कितना गम है ज़माने में,
अश्कों से आँखे जल गई, उनसे दिल लगाने में|
दिल कहता है और ना रख, इश्क-ए-शमा को रोशन,
पर हथेली जलेगी मेरी ही, इस शमा को बुझाने 
में||
तपती धूप की बैसाखी को पकड़कर रो लूँगा में,
जाने कितना वक़्त लगेगा, इन आँखों को सुखाने में||

अश्कों से आँखे जल गई, उनसे दिल लगाने में||

                                                                    -- गगन "रज"

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